अल्मोड़ा से 12 किमी दूरी पर चितई गाँव में गोल्ल देवता का मन्दिर है. गोल्ल देवता को भैरव का ही एक रूप माना जाता है. यह मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है. मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व कुमाऊँ की पुरानी राजधानी चम्पावतगढ़ में कत्यूरी राजा तालराव शासन करता था, फिर वहाँ उसका पौत्र हालराव शासक हुआ. सात रानियों के होते हुए भी हालराव निःसन्तान या. एक वार शिकार करने की इच्छा से वह जंगल गया, लेकिन जंगल में कोई शिकार नहीं मिला. थकान व प्यास से पीड़ित राजा ने अपने सेवकों को पानी लाने के लिए भेजा. नौकरों ने बताया कि जंगल में एक अपूर्व सुन्दरी तपस्यारत् है. दोनों के बीच विधि विधान के अनुसार विवाह सम्पन्न हुआ. हालराव की रानियों ने कालिन्द्रा रानी से उत्पन्न पुत्र को मारने का प्रयत्न किया, लेकिन वह बच निकला. राजा ने गोरिया को अपना पुत्र स्वीकार किया. राजकुमार के रूप में गोरिल अपनी ईमानदारी व न्यायप्रियता के लिए विख्यात हो गया अपनी मृत्यु के वाद वह एक जनप्रिय देवता वन गया और कुमायँ के विभिन्न क्षेत्रों में उसके नाम पर मन्दिर स्थापित किए गए. शताब्दियों के व्यतीत हो जाने पर भी गोरिल देवता पर कुमाऊँ के निवासियों का अगाध विश्वास है. सभी वर्गों के लोग अपने प्रति किए गए अन्याय के विरुद्ध गोरिल के दरबार में निःशुल्क अपना आवेदन करते हैं.
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