कभी बरखा , कभी घाम, कभी देहरादून का जाम, कभी बुखार, कभी जुखाम से भरतु की ब्वारी की तबियत खराब चल रही थी !!! चार दिन से बिस्तर में पड़ी थी !!! घ्रया से लेकर देशी सभी प्रकार की दवाइयों का सेवन कर रही थी पर हालत में कोई खास सुधार न था !!! भरतु बेचारा भी छुट्टी लेकर आ चुका था !! भरतु के सास ,ससुर भी राजावाला आ चुके थे !!! कई डॉक्टरों को भी दिखाया पर बीमारी पकड़ में नही आ रही थी !!!
फिर इलाके के एक पहाड़ी डॉक्टर साब को इलाज के लिए घर पर ही बुलाया !!! डॉक्टर साब ने नब्ज नुब्ज देखी और फिर सलाह दी कि .....?? इनका इलाज अब द्यो दयबता ही कर पाएंगे ..!!!!! .फिलहाल आप एक उचाणा रख दीजिए और ये कहते कहते ही डॉक्टर साब पर ही देवता अवतरित हो गया ...और चावल मांगने लगा .... भरतु की सास ..झट से अपने गाँव से लाये हुए मोटे चावल ले लायी ......पर देवता ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया ....जब भरतु अंदर से रामदेब के बासमती चावल लाया .... तब जाकर देवता ने उसको स्वीकार करते हुए दो ताड़े ...भरतु की ब्वारी पर मारे ....और पहाड़ी हिंदी भाषा मिक्स करके कहने लगा .... कि ...इस पर राजावाला का सैद लग गया है ...जिसकी पूजाई शीघ्र चाहिए !!!!
फिर भरतु ने अपने पंडित सिम्वाल जी को भी बुलाया और फिर सिम्वाल जी ने भी एक उचाणा रख दिया था ...जिसमे सात तरह के अनाज और सवा रुपया एक कागज पर.... टोकन मनी के तौर पर रख दिए थे !!! भरतु की सास भी इष्ट देवों को याद करते हुए कहने लगे ....हे देवता ... मेरी बेटी सुखी कर दे ...जो भी त्येरी पूजाई होगी हम जल्दी करेंगे !!! पर सिम्वाल जी ने बताया कि....ये सैद सूद कुछ नही है बल्कि ये ... राजावाला की एड़ी अछरी हैं ..जो परेशान कर रही हैं !!! जिनके लिए इनको शीघ्र नचाना पड़ेगा !!!!
और वास्तव में ...उचाणा की टोकन मनी रखते ही भरतु की ब्वारी की हालत में थोड़ा सा सुधार होने लगा !!!
अब भरतु के घर मे अत्याधुनिक रूप से घड्याला लगने लगा !! बकायदा लाउडस्पीकर और माइक पर ... डौंर, थकुली बजने लगी ...!!!!चैत की चेतवाली नामक अछरियों का प्रिय गीत बजने लगा !!! जिस पर आस पड़ोस की कई महिलाओं पर भी एडी अछरियाँ अवतरित होने लगी !!! सब एक दूसरे को भेंटने लगे !!! अछरीयां भी कहने लगी कि ...अब अगली पीढ़ी में हम किस पर अवतरित होंगे ....??? अब नई पीढ़ी तो हम से डर भी नही रही है ...और अब हम भी जबसे पहाड़ छोड़कर देहरादून आ गयी हैं ... हमारे पास भी टेम नही है ... !!!! पहले के जमाने मे जब हमारे पूर्वज किसी पर लगते थे तो ... सालों साल उसका पीछा नही छोड़ते थे ....पर अब जमाना भी बदल गया है ...हमारे पास भी टेम कम है ...!!!!क्योंकि हमने भी अपना दायरा बढ़ा लिया है ....जब सैद ...पहाड़ियों पर लग सकता है ..तो हम अछरियाँ अन्य धर्मों के लोगो पर क्यों नही लग सकती ??? वो तो भरतु की ब्वारी हमारी खास धियाण थी .... इसपे तो लगना जरूरी था ....!!!! वर्ना देरादून में हमारे पास भी कहाँ टाइम है ????
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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